ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालो के मन मे अपार श्रृद्धा के जो भाव है उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?

ठाकुरबारी के प्रति गांव वालों के मन में अपार श्रद्धा का भाव है। इसका एकमात्र कारण उनकी कृष्ण भगवान के प्रति आस्था से उपजी भक्ति के भाव का होना है। यह अलग बात है कि महंत, पुजारी और उनके लोग गांव के भोले-भाले लोगों की ईस आस्था का लाभ उठाकर उन्हें भांति-भांति प्रकार से ठगने का काम करते हैं। भोले-भाले लोग इनके ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ वाली नियत को आसानी से भांप नहीं पाते हैं। ग्रामीण लोग इस प्रकार अपनी भक्ति भावना से ठाकुरबारी में दान देते हैं। ऐसा ये प्रायः महंत के द्वारा इनके पारिवारिक यज्ञ के संपन्न हो जाने पर करते हैं। वैसे भी मुख्य अवसरों पर जैसे कि किसी के घर में पुत्र का जन्म होता है या फिर उनकी लङकी का विवाह तय हो जाता है या फिर जब वे मुकदमा जीत जाते हैं तब इन कार्यों के सफलतापूर्वक संपन्न हो जाने का कारण वह ठाकुरजी की कृपा को ही मानते हैं। लोग भक्ति भाव में आकर कभी-कभी अपनी जमीन का छोटा टुकड़ा भी ठाकुरबारी के नाम पर दान कर देते हैं। इस प्रकार गांव के लोग की ठाकुरबारी के प्रति भक्तिभाव की भावना से उनकी आस्तिक और भोली-भाली प्रवृत्ति का ही पता चलता है।


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